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1858 में सिंध, पाकिस्तान के क्षत्रिय कोली का ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह

  • 1858 विद्रोह और रुपलो क्षत्रिय कोल्ही:

1858 में सिंध, पाकिस्तान के क्षत्रिय कोली जाती के लोगो ने अंग्रेजी हुकूमत के सामने हथियार उठाए थे। जब मीर राजाओं को अंग्रेजों ने मार डाला तो सिंध के क्षत्रिय कोलीयो ने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ी संख्या में एक होकर लड़ना सुरु कर दिया । रुपलो क्षत्रिय कोल्ही (Rooplo Kolhi) नाम के कोली सरदार ने 8000 क्षत्रिय कोलीयो की फोज खड़ी कर दी। क्षत्रिय कोली जाति की फोज ने अंग्रेजों के राजस्व कार्यालय पर, पुलिस स्टेशनों पर,टेलीग्राफ कार्यालयों पर हमला कर दिया और उन पर कब्जा कर लिया। फिर जनरल टायरविट ने 15 अप्रैल की रात को क्षत्रिय कोलियों पर हमला किया, लेकिन क्षत्रिय कोलियो ने अंग्रेजों को बुरी तरह से मारा और अंग्रेजी सेना का एक बहुत हिस्सा मारा गया था, इसलिए अपनी जान बचाने के लिए जनरल टायरविट हैदराबाद भाग गए।

  • क्षत्रिय कोलियो का विद्रोह निष्फल होने का कारण:

हैदराबाद में, जनरल टायरविट ने एक बड़ी सेना तैयार की और हमले की तैयारी शुरू कर दी। और भदेसर (भदेसर) की राजपूत जाति के लोग धन और जमीन के लालच में अंग्रेजों से जुड़ गये। इसके बाद, अंग्रेजी सेना और राजपूत लोगों ने साथ मिलकार क्षत्रिय कोलियॉ के नगरपारकर क्षेत्र को घेर लिया और में क्षत्रिय कोलियों पर हमला किया जिसमें बड़ी संख्या में क्षत्रिय कोलि मारे गए और क्षत्रिय कोलीयो के एक गांव को पूरी तरह से बरबाद कर दिया।जो क्षत्रिय कोली स्वतंत्रता सेनानी बचकर निकल गए थे फिर उनकी तलाश सुरु कर दी और लोकल राजपूतों ने अंग्रेजों को Pag Wool Well के बारे म बताया औरबहां अंग्रेजों ने बचे हुए क्षत्रिय कोलीयो को भी बंदी बना लियाया मार दिया। क्षत्रिय कोली सरदार रुपलो कोल्ही को बंदी बना कर ले गए और 22 August 1858 को फांसी पर चढ़ा दिया। और राजपूतों को ईनाम के तौर पर ज़मीनें और पैसे दिए।

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