नाईक राघोजी राव भांगरे की प्रतिमा, अहमदनगर,
जन्म - तिथि :8 नवंबर 1805
जन्म - स्थान :देवगांव, अकोले, मराठा साम्राज्य
मृत्यु - तिथि :2 मई 1848
मृत्यु - स्थान :अहमदनगर, ब्रिटिश भारत
आंदोलन : भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन
1828 का क्षत्रिय कोली विद्रोह
मुख्य स्थान :- नागपुर
विद्रोह का प्रभाव :- पलामू, हजारीबाग, सिंहभूम
विद्रोह का नेतृत्व :- क्षत्रिय कोली सरदार गोवींद राव ,नारायण राव , गोमध कुंवर।
विद्रोह का कारण :- कोली की जमीन छीनकर मुस्लिमो तथा सिक्खों को दे दी गई।
1828 का क्षत्रिय कोली विद्रोह सन् 1828 मे महाराष्ट्र के क्षत्रिय कोली (Koli) सरदार गोवींद राव खरे के नेतृत्व में किया गया था और इसी समय कोली के लोग डाकु बन गए थे। सरदार गोवींद राव खरे पेशवा का किलेदार (Fort Commander) हुवा करते थे और रतनगढ़ क़िला क्षत्रिय कोली के रक्षन मे रहता था ।जब अंग्रेजों ने पेशवा को विफल कर दिया उसके बाद क्षत्रिय कोलीयो ने विद्रोह सुरु कर दिया। क्षत्रिय कोली पहाड़ीयों में चले गए और अंग्रेजों को मारने और काटने लगे । क्षत्रिय कोलीयों के आतंक और क्षत्रिय कोली विद्रोह को दफ़न करने के लिए अंग्रेजी अधिकारियों ने कैप्टन मैकिंटस (Captain Macintosh) को अंग्रेजी सेना के साथ भेजा लेकिन कैप्टन मैकिंटस को बुरी तरह हार मिली और उसकी काफ़ी सेना भी मारी गई। लड़ाई के बाद अंग्रेजों को महसूस हुआ कि क्षत्रिय कोलीयों को दबाना इतना आसान नहीं है इसलिए अंग्रेजों ने चाल चली और गांव-गांव जाकर क्षत्रिय कोली विद्रोहीयों के बारे में जानकारी एकठा करने लगे लेकिन अंग्रेजों को किसी ने भी कुछ नहीं बताया। मगर कुलकर्णी ब्राह्मणों ने अंग्रेजों को सारी जानकारी दे दी कि क्षत्रिय कोली कहां खाते हैं, कहां जाते हैं , कहां रहते हैं , कहां पिते हैं । वैसे तो कुलकर्णी ब्राह्मणों के पास ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन जो भी जानकारी थी सारी अंग्रेजों को दे दी और उसी के आधार पर अंग्रेजों ने अकोला की पहाड़ियों में दुबारा से और ज्यादा सेना भेजी और क्षत्रिय कोलीयों पर हमला कर दिया। हमले में क्षत्रिय कोली सरदार गोवींद राव खरे मारा गया और इस कारण क्षत्रिय कोलीयों का मनोबल टुट गया। अंग्रेजों ने बागी क्षत्रिय कोलीयों को बंदुक की गोलियों से मार डाला और बचे कुचों कोलीयों को गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकार 1828 का क्षत्रिय कोली विद्रोह दफन हुआ।
1858 में सिंध, पाकिस्तान के क्षत्रिय कोली जाती के लोगो ने अंग्रेजी हुकूमत के सामने हथियार उठाए थे। जब मीर राजाओं को अंग्रेजों ने मार डाला तो सिंध के क्षत्रिय कोलीयो ने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ी संख्या में एक होकर लड़ना सुरु कर दिया । रुपलो क्षत्रिय कोल्ही (Rooplo Kolhi) नाम के कोली सरदार ने 8000 क्षत्रिय कोलीयो की फोज खड़ी कर दी। क्षत्रिय कोली जाति की फोज ने अंग्रेजों के राजस्व कार्यालय पर, पुलिस स्टेशनों पर,टेलीग्राफ कार्यालयों पर हमला कर दिया और उन पर कब्जा कर लिया। फिर जनरल टायरविट ने 15 अप्रैल की रात को क्षत्रिय कोलियों पर हमला किया, लेकिन क्षत्रिय कोलियो ने अंग्रेजों को बुरी तरह से मारा और अंग्रेजी सेना का एक बहुत हिस्सा मारा गया था, इसलिए अपनी जान बचाने के लिए जनरल टायरविट हैदराबाद भाग गए।
हैदराबाद में, जनरल टायरविट ने एक बड़ी सेना तैयार की और हमले की तैयारी शुरू कर दी। और भदेसर (भदेसर) की राजपूत जाति के लोग धन और जमीन के लालच में अंग्रेजों से जुड़ गये। इसके बाद, अंग्रेजी सेना और राजपूत लोगों ने साथ मिलकार क्षत्रिय कोलियॉ के नगरपारकर क्षेत्र को घेर लिया और में क्षत्रिय कोलियों पर हमला किया जिसमें बड़ी संख्या में क्षत्रिय कोलि मारे गए और क्षत्रिय कोलीयो के एक गांव को पूरी तरह से बरबाद कर दिया।जो क्षत्रिय कोली स्वतंत्रता सेनानी बचकर निकल गए थे फिर उनकी तलाश सुरु कर दी और लोकल राजपूतों ने अंग्रेजों को Pag Wool Well के बारे म बताया औरबहां अंग्रेजों ने बचे हुए क्षत्रिय कोलीयो को भी बंदी बना लियाया मार दिया। क्षत्रिय कोली सरदार रुपलो कोल्ही को बंदी बना कर ले गए और 22 August 1858 को फांसी पर चढ़ा दिया। और राजपूतों को ईनाम के तौर पर ज़मीनें और पैसे दिए।
महाभारत युग के बाद क्रांतिकारी परिवर्तन। महाभारत के युग के उपरान्त इस सम्पूर्ण क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ। कोशल राज्य के अधीन अने...